Page 5 - Ankur Vol 2
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संपादकीय
‘तमसो मा ज्योततर्गमय’- (From darkness to light)- अंधकार से प्रकाश की
ओर :-यह हमारे विद्यालय का आदशग िाक्य है|यही हमारा उद्देश्य भी|विद्यालय
के नौतनहाल (नए उम्र के बच्चे)ज्ञान प्राप्त करक े जहााँ एक ओर अपने मन का
अंधकार ममटाएाँर्े िहीीँ बाहर भी रोशनी फै लाएाँर्े|इसी विश्िास के आधार पर हम
एक ऐसा प्लेटफामग तैयार करते हैं जहााँ से चतुमुगखी विकास की र्ाड़ियााँ जा
सकती हैं |
धरती की र्ोद में जब बीज पिा होता है तब िह न तो ककसी को ददखता
है न ही स्ियं ककसी को देख पाता है|ज्यों ही हिा,पानी और सूरज का सह्योर्
उसे ममलता है त्यों ही िह अंक ु ररत हो जाता है| खखल उठता है|िह धरती का
सुंदर नज़ारा देखता है ; धरती के लोर् उसे देखते हैं| उससे लाभ उठाते हैं|
हमारे विद्यालय की धरती में ऐसे ही बीज पिे होते हैं|उन्हें अंक ु ररत
करना हमारा दातयत्ि है| इसी दातयत्ि को ध्यान में रखते हए हमने ‘अंक ु र’
ु
पत्रिका को प्रकामशत करने का तनर्गय मलया था| ितगमान में इलेक्रोतनक मीड़िया
बहत प्रभािी है| सब जर्ह सुलभ है| इसीमलए ‘ई मैर्ज़ीन’ को हमने प्राथममकता
ु
दी है|विर्त िर्षों में बच्चों क े अंदर की तिपी प्रततभाएाँ मुखररत(explicit) हई थीं|
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पाठकों ने बहत सराहना की| उत्साहिधगन ककया|मााँर् की|अस्तु तृतीय अंक को
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प्रकामशत करते हए हमें हर्षग हो रहा है|
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यहााँ दहंदी द्वितीय भार्षा के स्तर पर पढ़ाई जाती है| इसके बािजूद दहंदी
के प्रतत जो लर्ाि है, जजस लर्न ि तनष्ठा से बच्चे प्रततयोगर्ताओं में भार् लेते
हैं, िह अत्यंत सराहनीय है|इसे देखकर हमे विश्िास होता है कक अर्र ‘दहंदी’