Page 6 - Ankur Vol 2
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प्रथम भार्षा के  स्तर पर होती तो उनका उत्साह और बढ़ता तथा प्रततभा में और

                        भी तनखार आता|


                             विद्यालय की अंतसगदनीय दहंदी कविता िाचन प्रततयोगर्ता में जजस तरह

                        से अनेकानेक कवियों की रचनाएाँ बच्चे प्रस्तुत करते हैं,उन्हें सुनकर श्रोता मंिमुग्ध
                        हो जाते हैं |


                            अंतसगदनीय िाद-वििाद प्रततयोगर्ता में बच्चों की मौमलक,मौखखक एिं हाजज़र-

                        जिाबी प्रततभा को मुखररत होते देखकर श्रोता दााँतों तले ऊाँ र्ली दबा लेते हैं|


                            अंतसगदनीय नाटक प्रततयोगर्ता में बच्चों की नाट्य कला का प्रदशगन देखकर

                        ऐसा लर्ता है कक या तो ये जन्मजात कलाकार हैं या कफर व्यिसातयक कलाकार|


                            अंतविगद्यालयीय आशुभार्षर् के  समय आकर्षगक िस्िों में सजे निांक ु रों की

                        प्रत्युत्पन्नमतत (तत्काल सोचने,समझने एिं अमभव्यक्त करने िाली बुद्गध की

                        क्षमता) का प्रदशगन देखकर एक बार विश्िास नहीं होता कक ये बच्चे ही हैं|कई

                        बार तो ऐसा लर्ता है कक बिों को भी लाजिाब कर देंर्े|


                             इन सबको देखकर विभार् की ओर से ‘अंक ु र’ पत्रिका का प्रकाशन साथगक

                        एिं यथोगचत प्रयास है | पत्रिका के  प्रस्तुत अंक में बच्चों के  ह्रदय के  उद्र्ार को
                        व्यक्त करती कविताएाँ, रोचक कहातनयााँ, प्रेरर्ादायक लेख, साहमसक यािा िृतांत,

                        यादों को तरोताजा करते संस्मरर् आदद संकमलत हैं| आशा है कक पत्रिका का यह

                        अंक पाठकों के  ह्रदय को स्पशग करेर्ा|इसी के  साथ नए रचनाकारों के  मंर्ल

                        भविष्य की हम कामना करते हैं तथा उम्मीद करते हैं कक अर्ले िर्षग के  अंक के

                        मलए और भी बढ़-चढ़कर अपनी रचनाएाँ प्रेवर्षत करेंर्े |


                                                                                             रामक ृ ष्ण
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