Page 10 - Ankur Vol 2
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अदम्य साहस

































                                   यह कहानी है- के रली नाम के  एक आदमी की, हंर्री के  तनिासी की l िह उस देश का
               सबसे श्रेष्ठ वपस्तौल शूटर था l जजतनी भी राष्रीय चैंवपयनमशप प्रततयोगर्ताएाँ उस राष्र में हई
                                                                                                           ु
               थीं, उनमें िह जीत चुका था l सभी लोर्ों को पूरा विश्िास हो र्या था कक 1940 के  दशक में जो

               ओलंवपक्स होने िाले हैं, उनमें स्िर्ग-पदक के रली ही जीतेर्ा l उसका एक ही सपना था, एक ही
               बात पर फ़ोकस था कक िह उस राष्र का ही नहीं बजवक पूरे विश्ि का श्रेष्ठ वपस्तौल शूटर बन

               सके lिह अपने हाथ को दुतनया का बेस्ट शूदटंर् हैंि बनाना चाहता था और अंतत: उसने बना मलया,

               िह उसमें क़ामयाब हो र्याl कक ं तु इससे पहले का हादसा उसक े जीिन को दहला देने िाला था|

                                1938 में आमी का एक रेतनंर् कैं प चल रहा था l चूाँकक के रली आमी में था, उसे आए

               ददन ख़तरों का सामना करना पिता था l और एक ददन तो ग़ज़ब ही हो र्या l जजस हाथ से उसे

               र्ोवि मैिल जीतना था, उसी में एक हैंि ग्रेनेि फट र्या और उसने अपना िह हाथ हमेशा के
               मलए खो ददया l उसका सपना, उसका फ़ोकस, सब ख़त्म हो र्या l अब उसके  पास के िल दो

               रास्ते थे l एक तो यह कक िह कहीं जाकर तिप जाए और बाक़ी की जज़ंदर्ी रोता रहे या कफर

               अपना जो लक्ष्य था, जजस पर उसने फ़ोकस ककया था, उसे पकिकर रखे l तब उसने उस पर

               फ़ोकस नहीं ककया जो उसने खोया था बजवक उस पर फ़ोकस ककया जो उसके  पास था l और िह
               क्या था – एक लेफ़्ट हैंि l एक ऐसा हाथ जजससे िह मलख तक नहीं सकता था l एक महीने के

               मलए उसका हॉजस्पटल में इलाज चला और ठीक एक महीने के  बाद ही उसने अपनी रेतनंर् शुऱू

               कर दी, अपने लेफ़्ट हैंि से l रेतनंर् के  एक साल बाद 1939 में िह िापस आया l                      2
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