Page 14 - Ankur Vol 2
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उगचत विराम गचह्न न लर्ाने का आतंक



                                         पत्नी का पि पतत के  नाम


                   मेरे वप्रय प्रार्नाथ

                   प्रर्ाम आप के  चरर्ों में


                क्या चक्कर हैl आपने कई महीनों से पि नहीं मलखा यहााँ पिोमसन कोl कई ददनों से पुमलस ढ ूंढ

               रही है श्री देिी l टी.िी.पर सजना के  मलए र्ीत र्ा रही थी बकरी l के  बच्चे को र्ााँि से भेड़िया

               उठा कर ले र्या है l र्ेहाँ की फसल उर् आई है दादा जी के  मसर पर l चोट लर् र्ई है क ु सी परl
                                       ू
               आराम करते रहेते हैं दादा जी ने lटी.िी. की लत लर्ा ली है मैंने l आपको बहत खत मलखे पर
                                                                                             ु
               तुम नहीं आए खरर्ोश के  बच्चे l बेच ददए र्ए हैं तुम्हारे वपताजी l तुम्हें याद करते रहते हैंl

               तुम्हारी पत्नी


                                            विराम गचह्नों का उगचत उपयोर्


               मेरे प्रार्नाथ!


               प्रर्ाम,आप के  चरर्ों में !


                   क्या चक्कर है?आपने कई महीनों से पि नहीं मलखाl यहााँ,पिोमसन को कई ददनों से पुमलस
               ढ ूंढ रही हैl श्री देिी टी.िी.पर सजना के  मलए र्ीत र्ा रही थी lबकरी के  बच्चे को र्ााँि से भेड़िया

               उठा कर ले र्या हैl र्ेहाँ की फसल उर् आई हैl दादा जी के  मसर पर चोट लर् र्ई हैl क ु सी पर
                                       ू
               आराम करते रहते हैंl दादा जी ने टी.िी. की लत लर्ा ली हैl मैंने तुम्हें बहत-से खत मलखे पर
                                                                                          ु
               तुम नहीं आएl खरर्ोश के  बच्चे बेच ददए र्ए हैं lतुम्हारे वपताजी तुम्हें याद करते रहते हैंl


               तुम्हारी पत्नी















                                                                                  – श्री रामके िल यादि(हहन्दी अध्यापक)

                                                                                                                                   6
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