Page 29 - Ankur Vol 2
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उसकी गचड़ियों जैसी रोने की आिाज सुनकर बहत–सी र्िरइयााँ उिती-उिती उसके पास
ु
आ र्ईं |पेि के नीचे बैठकर उससे पूिने लर्ीं|
सोन गचरैया ने रोते-रोते सब क ु ि बता ददया|
‘मत रोओ,मत रोओ,तुम्हारा धान हम लोर् क ू ट देंर्े ‘गचड़ियों ने उसे आश्िासन ददया
|
शीघ्र ही गचड़ियों ने अपनी चोंचो से फोि-फोिकर चािल बना ददया|जजसका अता-पता
ककसी को न चला|
उसने चािल लाकर अपनी भामभयों को दे ददया |इसे देखकर उसकी भामभयााँ हैरान हो
र्ईं | उसकी एक भाभी बहत ही दुष्ट थी|उसने तौलकर कहा –“एक चािल कम है”|
ु
उन्होंने सोन गचरैया को कफर से बाहर भर्ा ददया|िह रोते हई िहीं चली र्ई|उसे रोते
ु
देखकर गचड़ियों ने कफर पूिा |उनमें से एक कानी गचड़िया ने सचमुच चािल का एक ट ुकिा
चुरा मलया था|सभी ने उसे मार-मारकर चािल का िह ट ुकिा लौटा ददया| उसकी भामभयााँ कफर
-से अचंभे में पि र्ईं |िे तो उसे कष्ट ही देना चाहती थीं|
एक ददन उन्होंने उसे एक चलनी दी और उसमें पानी भरकर लाने के मलए कहा| सोन
गचड़िया चलनी लेकर कफर नदी के ककनारे चली र्ई | पानी भरती,गर्र जाता|
क्या चलनी में पानी भर सकता था? िह िहीं बैठकर मेंढकों की तरह टरग-टरग करके
रोने लर्ी|
उिलते हए मेंढक नदी में से बाहर आकर पूिने लर्े|सोन गचरैया ने उन्हें भी सब
ु
क ु ि बता ददया|
“हम लोर् ममट्टी -बालू से चलनी के िेदों को भर देंर्े ,तुम पानी भरकर ले जाना|”
मेंढकों ने उसे सांत्िना दी
सोन गचरैया ने भरी चलनी लाकर दे ददया|इसे देखकर उसकी भामभयााँ और जल-भुन
र्ईं |
भाग-3
एक ददन उन सभी ने ममलकर सोन गचरैया को जंर्ल से लकिी लाने के मलए भेज
ददया|उन्होंने रस्सी भी नहीं दी और कहा कक त्रबना बााँधे ही ले आना| 21