Page 26 - Ankur Vol 2
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गलततयों को इंगगत करना आसान है, लेककन उसे सुधारना मुस्ककल


                      एक बार  एक शहर  में बहत ही मशहर गचिकार रहता था।  उसके  बनाए हए गचि , लोर् देखते रह
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               जाते थे।  जैसे ही  िह बनाता, हाथों - हाथ त्रबकने   लर्ते थे। कफर भी िह हमेशा इस कोमशश में रहता  था कक
               िह कै से अपने गचिों को और अच्िा बना सकता है।  इसक े मलए िह अलर् - अलर्  चीज़ें करता रहता था।

               कभी - कभी िह खुद को अाँधेरे कमरे में बंद कर लेता , तो कभी किकती धूप में खिा कर लेता,  कभी र्ुफाओं
               में जाकर गचि बनाता था।


                       बहत ददन क े बाद उसने  एक ऐसा गचि बनाया जजसे देखकर लर्ा कक यह अब तक  का सबसे अच्िा
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               गचि है। ऐसा  कभी न हआ था कक  उसे अपने गचि में कोई कमी  नज़र आए। इसे सात्रबत करने क े मलए उसने
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               शहर क े सबसे व्यस्त चौराहे पर अपने गचि को रख ददया और एक मंिल पर मलख ददया कक अर्रआपको इस

               गचि में कोई कमी  नज़र आ रही है , तो उस पर तनशान लर्ा दें ।


                      िह एक शानदार गचि था इसमलए उसे पूरा विश्िास था कक लोर् उसकी तारीफ करेंर्े।

               शाम को जब िह अपने गचि  को देखने पहाँचा , तब िह हैरान हो र्या। पूरे गचि पर हर जर्ह
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               तनशान थे। लोर्ों ने इतने तनशान लर्ाए कक  िह काली नज़र आ रही थी। िह बहत दुखी था।
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               िह अपने दोस्त क े पास र्या और सब क ु ि उसे बता ददया।

                      दोस्त ने उसे कहा " तुम कफर से ऐसा ही एक गचि बनाकर चौराहे पर लर्ा दो, लेककन

               इस बार मंिल पर यह मलखना कक अर्र कोई कमी नज़र आए  तो क ृ पया उसे सुधर दें।" गचिकार

               ने सोचा,"चलो यह भी कर लेते हैं।


                      अर्ले ददन शाम को जब िह जाकर देखता है, तो उस पर एक भी तनशान नहीं था। उस
               ददन गचिकार ने समझा कक जब उसने गचि बनाकर लोर्ों से कहा कक कममयााँ तनकाल दो , तब

               लोर्ों ने गचि को तनशानों से भर ददया, लेककन जब मलखा कक कममयााँ तनकाल कर उसे सुधार दें

               एक भी तनशान नहीं था।

                      इस कहानी से यह सीख ममलती हैं कक कममयााँ तनकालना बहत आसान है, पर उसे सुधारना
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               बहत मुजश्कल हैं| लोर् हमेशा ककसी की अक्ल में कमी तनकालते हैं या कफर ककसी की शक्ल में।
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               कई बार हमारे साथ भी यही होता है, हम अपने आप पर शक करते हैं। इसमलए कभी मत  भूलना
               कक शक हमारे सपनों को मारते हैं। विश्िास से हम जीतते हैं|








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