Page 20 - Ankur Vol 2
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ताजमहल बन र्या, जो था कभी कत्रिस्तान।  भौर्ोमलक बंददशे,

                   रंर्-ऱूप पे ममटने िालों का काकफ़ला देखा,     मुझे बााँध नहीं पातीं
                   पार्लपन उसका देखा जो होता है देश की         लंदन हो, टोक्यो हो,

                            ममट्टी पर क ु रबान ।।              या कफर हो पेररस

                  लफ़ज़ों से कहते हैं ददल  देंर्े, जज़न्दर्ी देंर्े,   सब मेरे पंखों के  फै लाि में

                           मााँर्ें तो देंर्े पूरा जहााँ ।     समा जाते|
                    तारीफ़ क े कात्रबल तो िे आमशक हैं जो,           इंसानों से ममलती

                 सरहदों पे हाँसते-हाँसते  दे देते हैं अपनी जान।  धरती के  हर कोने पर|

                     मोहब्बत में परखना, प्यार में साँिरना,     ककसी को जानती,
                  सुना है ये सब तरीके  आजमाते हैं इनसान ।      ककसी को समझती,

                 ककस हद तक परखोर्े देश प्रेम की दीिानर्ी,  शांतत का पैर्ाम देती,

                     क्या लोर्े एक फ़ौजी का इजम्तहान ।।         ककसी का ददग बााँटती,
                                                               ककसी को खुमशयााँ देती|
                 आर्ाज़ से पहले,अन्जामें-मोहब्बत पता है उसे,
                                                               मेरे हौसले
                   मंजज़ल जो सोच क े तनकला है शमशान ।
                                                               मेरे इरादे
                      न बदले में क ु ि चाहत आमशक की,
                                                               िैसे ककसी पंख के  मोहताज नहीं है|
                      बस कतरा माटी का ि ू  लेना कोई ।

                          एक बूाँद लह क े बचने तक,             यदद मेरे पंख होते,
                                     ू
                          लिता रहता है ि बलिान।।               यक़ीनन मुझे र्तत ममलती|
                              देश प्रेम में पार्ल,             बर्ैर पंख के  भी,

                  इस दीिाने को क ु ि नहीं ममलता है बखान।       जीिन अपने तरीके  से

                            मजनू नहीं, रााँझा नहीं,            जजया जा सकता है|
                           शहीद  कह के  करती है,               और अपने अजस्तत्ि को

                            इसके  लह का भुर्तान।               क ु ि अथग ददया जा सकता है |
                                     ू
                    सबको होर्ी मोहब्बत ककसी शहज़ादे से,         यदद मेरे पंख होते तो .......|
                                                                                                      th
                      मेरे  मलए मसपाही ही सब क ु ि है ।                             जानिी जांगीड (6  - D )
                  क्योंकक यही तो है हमारे महल नुमा देश की

                            आन, बान और शान।।

                                                        th
                                            आईशा (8  - F)

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