Page 23 - Ankur Vol 2
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प्लास्थिक का युग
ितगमान समय में प्लाजस्टक का प्रभाि बढ़ र्या है । यह हमारे दैतनक जीिन का अमभन्न अंर् बन र्या
है । यह सत्य है कक प्रक ृ तत द्िारा बनाए र्ए अनेक अतुलनीय पदाथों की अपेक्षा मानि तनममगत प्लाजस्टक
मानिीय उपयोर् की दृजष्ट से कहीं अगधक सक्षम मसद्ध हो रहा है , लेककन यह भी असत्य नहीं है कक प्रक ृ तत
ऱूप से विघदटत न होने की क्षमता से प्लाजस्टक प्रदूर्षर् की समस्या विकराल ऱूप धारर् कर चुकी है ।
प्लाजस्टक की तुलना में पीतल और तााँबे जैसी धातुओं की कदठन उपलजब्ध ही प्लाजस्टक संस्क ृ तत का
प्रमुख कारर् है । यह हर िर्ग की ज़रुरत पूरी कर रहा है । यही कारर् है कक विश्ि क े सभी देशों में इसका
उप्तादन बढ़ रहा है । क ु ि िर्षों में ही २५-३० लाख टन प्रतत िर्षग तक उत्पादन हो जाने का अनुमान है ।
प्लाजस्टक का उपयोर् वपिले चार दशकों में बिी तेजी से बढ़ रहा है, परंतु आज-कल प्लाजस्टक का प्रयोर्
अत्यंत व्यापक हो र्या है । ितगमान समय में प्लाजस्टक एक बिे तथा महत्िपूर्ग उद्योर्-धंधे क े ऱूप में
प्रततजष्ठत हो चुका है । आज-कल तो प्लाजस्टक का उपयोर् क ृ त्रिम िस्ि बनाने, मशीनों क े पुजे बनाने,पानी
की टंककयााँ बनाने,प्लाजस्टक क े दरिाज़े,चादरें, चप्पलें,जूते अनेक उपकरर्, रजस्सयााँ, पैकक ं र् मैटेररयल,
बतगन जैसी चीज़ें बनाने में ककया जाता है ।
प्लाजस्टक ने तो हमारी दुतनया ही बदल दी है । जजधर देखखए, प्लाजस्टक की आकर्षगक िस्तुओं की
भरमार है । कमाल की बात तो यह है कक आज सौंदयग प्रसाधन की सामग्री तथा सजािट की िस्तुएाँ बनाने में
भी प्लाजस्टक का प्रयोर् होता है । ज़रा सोगचए, आज यदद प्लाजस्टक का पैकक ं र् मैटेररयल न हो तो हमें ककतनी
कदठनाइओं का सामना करना पिेर्ा । यदद पॉमलएस्टर क े िस्ि न हो, तो संसार भर के िस्िों की आपूततग
ककस प्रकार संभि होर्ी ।
मानि ने प्लाजस्टक का तनमागर् करके अपने जीिन में एक ओर जहााँ क्रांततकारी पररितगन कर ददया
है, िहीं इसने पयागिरर् को भी प्रदूवर्षत ककया है । क ु ि भी कहो, प्लाजस्टक की दुतनया है बहरंर्ी और िह ददन
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दूर नहीं जबकक िैज्ञातनक ऐसे प्लाजस्टक का तनमागर् करने में सफल हो जाएाँर्े जो पयागिरर् को प्रदूवर्षत नहीं
करेर्ा ।
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शशिांशी शमश्रा (8 -B)
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